गीत – अर्श क्या नाराजगी
अर्श क्या नाराजगी
मुझसे तेरी वो तो बता
पास आकर क्यों चला
जाता है बिन मुझसे मिले
क्या वजह इस अजनबीपन के
यूँ चलते सिलसिले
माफ कर दे मीत मेरे
गर हुई कोई खता
जल रहा दिल भी बहुत
बेचैनियों का जोर है
कोसता खामोशियों के
बीच बैठा शोर है
हो गया जबसे जुदा तू
भूला मैं अपना पता
नैन भर तुझको निहारे
एक अरसा हो गया
छोड़के गुमनामियाँ
जाने कहाँ तू खो गया
बस गिराती हैं ढलानें
जबकि तू था थामता
बहुत अच्छी कविता.
वाह वाह !