कविता

गीत – अर्श क्या नाराजगी

अर्श क्या नाराजगी

मुझसे तेरी वो तो बता

 

पास आकर क्यों चला

जाता है बिन मुझसे मिले

क्या वजह इस अजनबीपन के

यूँ चलते सिलसिले

माफ कर दे मीत मेरे

गर हुई कोई खता

 

जल रहा दिल भी बहुत

बेचैनियों का जोर है

कोसता खामोशियों के

बीच बैठा शोर है

हो गया जबसे जुदा तू

भूला मैं अपना पता

 

नैन भर तुझको निहारे

एक अरसा हो गया

छोड़के गुमनामियाँ

जाने कहाँ तू खो गया

बस गिराती हैं ढलानें

जबकि तू था थामता

 

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन

2 thoughts on “गीत – अर्श क्या नाराजगी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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