उपन्यास : देवल देवी (कड़ी १७)
14. काफूर और हसन
सर्वाधिक खूबसूरत युवतियों को सुल्तान ने अपने हरम में भिजवा दिया। बाकी को अमीरों और अफसरों में बाँट दिए। दासों का भी वितरण किया गया, बेचा गया। कंचन सिंह का पुरुषांग काट दिया गया और उसे बलात मुस्लिम बनाया गया। इस हिजड़े को रानी कमलावती के कक्ष का पहरेदार बनाया गया।
काफूर की सुंदरता पर मोहित हो सुल्तान ने उसे अपनी निजी सेवा में ले लिया। धर्मदेव नुसरत खाँ को मिला। नुसरत खाँ ने उस बालक की जबरन सुन्नत करके मुस्लिम बनाकर उसका नाम ‘हसन’ रखा। इस बालक की सुंदरता, उस नुसरत को इतनी भायी कि उसने रात को उसे अपने कक्ष में बुलाया। नुसरत खाँ ने ‘हसन’ से गुदा मैथुन किया। बेचारा ‘हसन’ तड़प कर रह गया। अब तो नुसरत अक्सर हसन से अपना ये शगल पूरा करता, कभी-कभी अन्य अमीर भी हसन से यह खिलवाड़ करते। हसन सोचता कि इतनी बांदियाँ होने के बाद भी ये कामुक यह कुकृत्य क्यों करते हैं। सोचता और सोचकर तड़प उठता।
इंद्रसेन की मृत्यु उसके आँखों के सामने नाच उठती। कभी-कभी राजकुमारी देवलदेवी के बारे में सोचकर तड़प उठता, कैसी होगी वह धर्मपरायण राजकुमारी? क्या बीतेगी उस पर पराजय के बाद? पर हसन ने इसके साथ ही अपना ध्यान सैनिक अभ्यास पर लगाना चालू किया। बहुत कम समय में वह एक योग्य सैनिक के रूप में परिवर्तित हो गया।
मुस्लिम सुल्तान इसी तरह विकृत कामवासना से पीड़ित हुआ करते थे।
मुगल काल में ये काम वासना चरम पर थी।