जीवन-समर
जीवन समर किधर जाना है,
कुछ उद्धार तो कर जाना है|
सीखें क्या सिखाएं क्या अब
मौन बहुत कुछ कर जाना है|
रचना है संसार निराला कुछ,
स्याही से कुछ कर जाना है|
खून का रंग लाल लाल है,
खूने जिगर तो बन जाना है|
रग रग में बहते जाना है,
मौन बहुत कुछ कर जाना है|
— मौन
बहुत खूब .
वाह वाह
बहुत सुंदर…भाई जी 🙂
सौरभ जी धन्यवाद