सभी लोग
भोर भोर के समय में,
जा रहे थे मोड़ पर
साथ में सभी लोग।
आपस में,
सुख दुख लिये।
कर रहे थे,
कुछ एैसी बातें।
तब तक आया गाड़ी वाला,
कहाँ जाना है जनाब, बोला
तब तक ,
हम लोग बोल पड़े।
जाना है, कुछ दुर ।
जहां मिलेंगे,
सुख दुख के संगम।
जहां मिलेंगे ,
नयी उमंग।
क्या?
तुम ले चलोगे।
तब तक बोल पड़ा,
गाड़ी वाला।
जी हुजुर,
क्यों नहीं।
ले जायेगे वहाँ,
जहां मिलेगी,
आपको सुख चैन
जहां मिलेगी ,
नयी किरन ।
जहां मिलेगी,
जीवन जीने की कला।
यही तो मेरा काम है
ले जाना उस जगह पर,
भोर भोर के समय में ।
~~~~~~~~~~रमेश कुमार सिंह
बहुत अच्छी कविता.
धन्यवाद श्रीमान जी