तेरा पीछा करते करते ,….
तेरा पीछा करते करते , तेरा साया बन गया हूँ
तेरे द्वारा अघोषित तेरा ,सरमाया बन गया हूँ
तेरी मुहब्बत ने मुझपे ,जादू सा असर किया है
पहले आदमी था अब ,इंसान नया बन गया हूँ
तू कभी न कभी तो गुजरेगी मेरे गांव के राह से
कहीं पीपल की कहीं बरगद की,छाया बन गया हूँ
ये जहाँ तुझ पर उंगलियाँ न उठाये कभी भी
यह सोच कर मैं ,दानिश्ता पराया बन गया हूँ
न जाने किस मोड़ पर तुम मिल जाओ मुझसे
तेरी जुस्तुजू में मैं आवारा दरिया बन गया हूँ
तेरे जाते ही अमावश का गहन तम , घिर आया है
तेरी यादों की बाती को जला ,दीया बन गया हूँ
अपने ख्यालों में तुझे ही बुनता रहता हूँ मैं हरदम
तसव्वुरों के तिनकों से निर्मित आशियाँ बन गया हूँ
कोई खता हुई होगी मुझसे कई जन्मों पहले शायद
चलो अब करीब आकर तेरा हमसाया बन गया हूँ
किशोर कुमार खोरेन्द्र
सरमाया =संपत्ति ,दौलत , दानिश्ता =जानबूझकर
जुस्तुजू =तलाश , तसव्वुर =कल्पना , आशियाँ =घोंसला
हमसाया =पड़ोसी
अच्छी ग़ज़ल !
thank u