++क्या मैं तेरी कोख की जनी नहीं हूँ मैया++
मैया मेरे जन्म पर क्यों ,
तू इतना आँसू बहाती हो |
भैया के जन्म पर तो ,
खूब बन्दुक-पटाखे चलवाती हो |
मेरी कुछ भी गलती होने पर मैया ,
क्यों तू चुड़ैल कह बुलाती हो |
भैया की गलती पर भी ,
तू क्यों उन्हें प्यार जताती हो |
भैया कों घी- चुपड़ी रोटी ,
मुझे सुखी ही पकड़ा देती हो |
भैया कों दूध-बादाम बड़े प्यार से पिलाती हो ,
मुझे पानी में तू दूध मिला दे बहला देती हो |
भैया की खरोंच पर तू घर बाहर एक कर देती हो ,
मेरे खून बहने पर भी तू तवज्जों नहीं देती हो |
मैया मैं तो तेरा ही अंश हूँ ,
तेरा ही रूप हूँ ,
तेरा ही अस्तित्व हूँ मैया ,
फिर क्यों करती हो अनादर मैया |
क्यों मुझसे करती सौतेला व्यवहार मैया
क्या मैं तेरी कोख की जनी नहीं हूँ मैया |
++ सविता मिश्रा
बहुत मार्मिक कविता
बहुत बहुत शुक्रिया भैया
इस में मया की भी अपनी मजबूरी होती है , यह हमारे समाज की देन है.
बहुत बहुत आभार भैया