कविता

++क्या मैं तेरी कोख की जनी नहीं हूँ मैया++

मैया मेरे जन्म पर क्यों ,
तू इतना आँसू बहाती हो |
भैया के जन्म पर तो ,
खूब बन्दुक-पटाखे चलवाती हो |
मेरी कुछ भी गलती होने पर मैया ,
क्यों तू चुड़ैल कह बुलाती हो |
भैया की गलती पर भी ,
तू क्यों उन्हें प्यार जताती हो |
भैया कों घी- चुपड़ी रोटी ,
मुझे सुखी ही पकड़ा देती हो |
भैया कों दूध-बादाम बड़े प्यार से पिलाती हो ,
मुझे पानी में तू दूध मिला दे बहला देती हो |
भैया की खरोंच पर तू घर बाहर एक कर देती हो ,
मेरे खून बहने पर भी तू तवज्जों नहीं देती हो |
मैया मैं तो तेरा ही अंश हूँ ,
तेरा ही रूप हूँ ,
तेरा ही अस्तित्व हूँ मैया ,
फिर क्यों करती हो अनादर मैया |
क्यों मुझसे करती सौतेला व्यवहार मैया
क्या मैं तेरी कोख की जनी नहीं हूँ मैया |
++ सविता मिश्रा

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|

4 thoughts on “++क्या मैं तेरी कोख की जनी नहीं हूँ मैया++

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक कविता

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    इस में मया की भी अपनी मजबूरी होती है , यह हमारे समाज की देन है.

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