उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 19)
16. परंपरा का निर्वाह
बौद्धधर्म के अनुयायी मंगोल तेमूचिन (जिसे संसार चंगेज खाँ के नाम से जानता है।) के समय से भारत पर हमला कर रहे थे। मंगोलों का ऐसा ही एक हमला सुल्तान जलालुद्दीन ख़िलजी के समय पर हुआ। उस हमले का नेता तेमचिन के पौत्र हुलागू का पौत्र अब्दुल्ला था, किंतु सुल्तान ने उन्हें भटिंडा में हरा दिया।
उन मंगोलों का एक सरदार उलगू सुल्तान की पुत्री के चक्कर में पड़ गया। सुल्तान की पुत्री से विवाह करके वह अपने कुछ साथियों के साथ दिल्ली में ही बस गया। यह मोहल्ला मंगोलपुरी कहलाया। उन्होंने इस्लाम धर्म मान लिया और नए मुसलमान कहलाए।
आन्हिलवाड़ से आई दौलत के बँटवारे को लेकर इन नए मुसलमानों और पुराने मुसलमानों में संघर्ष हो गया। नए मुसलमानों ने सुल्तान के भाई उलूग खाँ के पुत्र और नुसरत खां के भाई की खेमों में घुसकर हत्या कर दी। नए मुसलमानों के इस कृत्य से आगबबूला सुल्तान ने उनके संहार का आदेश दे दिया। नुसरत खाँ और उलूग खाँ एक बड़ी सेना के साथ नए मुसलमानों पर टूट पड़े। बहुत मारे गए। नए मुसलमानों की औरतों और बच्चों को पकड़कर बेचने के लिए दास मंडी में भेज दिया गया।
कुछ नए मुसलमान भागकर राजपूताना पहुँचे। इन लोगों ने रणथंभौर के राजा वीर हम्मीर से शरण माँगी। भारतीय परंपरा का निर्वाह करते हुए उस वीर ने तुर्की सेना का तनिक भी भय माने बगैर उन्हें रणथंभौर में शरण दे दी। राजा हम्मीर के इस साहस ने सुल्तान को चकित कर दिया।