आशा की किरण
अंधकार छा जाता है,
चारो ओर।
नहीं कोई राह सूझती है,
तब हमें राह दिखलाती है,
आशा की किरण।
बुझ जायें अगर,
दिया की लौ।
और इन्सान उस दिया को,
अपनी किस्मत माने,
कि वह दिया कभी नहीं जल सकती
तब वह जिन्दगी में हार जायेगा।
क्यों कि उस बुझे हुए दिये को,
भी जलाती है आशा की किरण।
उस चिटी को देखो,
जो दाना लेकर
दिवार पर चढती,
है बार-बार,
अपने द्वारा किये गये,
मेहनत को दर्शाती है।
लेकिन वह चढती कम,
बार बार फिसलती है।
यदि वह मान लेती
दिवार पर कभी न चढ पायेगी।
तो बुझ जायेगी उसकी
आशा की किरण।
लेकिन,
चिटी को भी उस पार ले,
जाती आशा की किरण।
मानव कभी न बुझने देगा
मन को,
इस किरण को।
क्यों कि,
हर किसी को आगे बढाती ,
आशा की किरण।।
~~~~~रमेश कुमार सिंह
प्रेरणादायक …
बढ़िया
आभार श्रीमान जी।