एक मुक्तक
माना कि बुझे हुये चिरागों में, रौशनी नहीं होती,
माना कि ख्वाब की जिंदगी, असली नहीं होती।
मगर सच है कि अहसास दिलाती है कुछ होने का,
निराश व्यक्ति के लिए, मंजिल आसां नहीं होती।
डॉ अ कीर्तिवर्द्धन
माना कि बुझे हुये चिरागों में, रौशनी नहीं होती,
माना कि ख्वाब की जिंदगी, असली नहीं होती।
मगर सच है कि अहसास दिलाती है कुछ होने का,
निराश व्यक्ति के लिए, मंजिल आसां नहीं होती।
डॉ अ कीर्तिवर्द्धन
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बहुत खूब .