बाल साहित्य

चिड़िया जैसी गुड़िया …(बाल कविता )

एक चिड़िया

एक गुड़िया ….

चिड़िया जैसी गुड़िया  …
और चिड़िया …!

चिड़िया जैसी कोई नहीं

पर फैलाती उड़ जाती

दाना चुगती

चहचहाती

कभी – कभी ठुमक कर

चलती

बिन घुंघरू छनकती …….

और गुड़िया …!

पर नहीं फैलाती

मन की उड़ान ही भरती ..
पैरों में पायल

ठुमक कर  भी ना चलती ..

चिड़िया से मिली गुड़िया

गुड़िया मुस्काई

चिड़िया चहचहाई …

चिड़िया पर फड़फड़ाती

उड़ जाती ..

गुड़िया  भी “पर” फड़फड़ाती

उड़ ना पाती

चल भी ना पाती

कमजोर पैर

बस नजर भर देखती

उडती चिड़िया ….

 

*उपासना सियाग

नाम -- उपासना सियाग पति का नाम -- श्री संजय सियाग जन्म -- 26 सितम्बर शिक्षा -- बी एस सी ( गृह विज्ञान ), महारानी कॉलेज , जयपुर ज्योतिष रत्न , आई ऍफ़ ए एस दिल्ली प्रकाशित रचनाएं --- 6 साँझा काव्य संग्रह, ज्योतिष पर लेख , कहानी और कवितायेँ विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती है।

3 thoughts on “चिड़िया जैसी गुड़िया …(बाल कविता )

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता। लेकिन यदि छंदबद्ध होती तो कहीं अधिक अच्छा होता। बच्चे उसे गा भी सकते थे।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता बैहना .

Comments are closed.