चिड़िया जैसी गुड़िया …(बाल कविता )
एक चिड़िया
एक गुड़िया ….
चिड़िया जैसी गुड़िया …
और चिड़िया …!
चिड़िया जैसी कोई नहीं
पर फैलाती उड़ जाती
दाना चुगती
चहचहाती
कभी – कभी ठुमक कर
चलती
बिन घुंघरू छनकती …….
और गुड़िया …!
पर नहीं फैलाती
मन की उड़ान ही भरती ..
पैरों में पायल
ठुमक कर भी ना चलती ..
चिड़िया से मिली गुड़िया
गुड़िया मुस्काई
चिड़िया चहचहाई …
चिड़िया पर फड़फड़ाती
उड़ जाती ..
गुड़िया भी “पर” फड़फड़ाती
उड़ ना पाती
चल भी ना पाती
कमजोर पैर
बस नजर भर देखती
उडती चिड़िया ….
बहुत सुन्दर ..चिड़िया सी गुड़िया
अच्छी कविता। लेकिन यदि छंदबद्ध होती तो कहीं अधिक अच्छा होता। बच्चे उसे गा भी सकते थे।
बहुत अच्छी कविता बैहना .