कैसे कहूँ
कैसे कहूँ
कितने प्यारे हो तुम
मेरी जान पे भी
वारे हो तुम
नही जानता
पाल रखी हैं कितनी हसरतें
बीते वर्षों में मैंने
बस इतना अहसास जरूर हुआ
की हम ना रहे हम
हम अब हुए तुम
अब तक जितना भी जिए
तुम्हारे लिए जिए
हर ख़ुशी
आपकी रज़ा समझ के जिए
सह लेंगे सितम जमाने के
पर नही होने देंगे
तुम्हारी आँखे नम
हम हस कर सहेंगे
तुम्हारा हर इक गम
कैसे कहूँ
कितने प्यारे हो तुम
मेरी जान पे भी
वारे हो तुम
बहुत सुन्दर !
एक एक लफ्ज़ में जान है , बहुत खूब .