देख कर तुम्हारी तस्वीर
देख कर तुम्हारी तस्वीर
लिखता हूँ कवितायें फिर
पर कभी
कह नहीं पाता पूरी बाते
मन रह जाता है
आखिर तक अधीर
जानता हूँ इस जन्म में
तुमसे मिलन असम्भव है
क्या सदियों से सह रहा हूँ
मैं वियोग की यही असह्य पीर
क्या यही बहुत बड़ी घटना नहीं है
की
हम दोनों के मन आ गए हैं
एक दूसरे के करीब
इंसान से प्यार करने वाला मनुष्य ही
ईश्वर के लिए प्रेम गीत
लिख पायेगा एक दिन
देख कर तुम्हारी तस्वीर
लिखता हूँ कवितायें फिरकिशोर कुमार खोरेन्द्र
लिखता हूँ कवितायें फिर
पर कभी
कह नहीं पाता पूरी बाते
मन रह जाता है
आखिर तक अधीर
जानता हूँ इस जन्म में
तुमसे मिलन असम्भव है
क्या सदियों से सह रहा हूँ
मैं वियोग की यही असह्य पीर
क्या यही बहुत बड़ी घटना नहीं है
की
हम दोनों के मन आ गए हैं
एक दूसरे के करीब
इंसान से प्यार करने वाला मनुष्य ही
ईश्वर के लिए प्रेम गीत
लिख पायेगा एक दिन
देख कर तुम्हारी तस्वीर
लिखता हूँ कवितायें फिरकिशोर कुमार खोरेन्द्र
बहुत खुबसूरत _/_सादर
वाह वाह ! बहुत खूब !!
वाह वाह , आप तो कमाल कर देते हैं .