गीतिका/ग़ज़ल

हममे ऐसी….

 

हममे ऐसी सोहबत हो जाए
की दोनों में क़ुरबत हो जाए

एक दूसरे में तलाशे खुद को
दोनों की ऐसी हसरत हो जाए

जर्रे जर्रे में बस तू ही नजर आये
निगाहों की ऐसी फितरत हो जाए

मन ही मन जो कहूँ तू सुन ले
खुदा से ऐसी इनायत हो जाए

मुझे भी तुम याद करते रहो
तेरी मुझ पर रहमत हो जाये

किशोर कुमार खोरेन्द्र

{सोहबत =संगत ,क़ुरबत =निकटता ,फितरत= आदत,
इनायत =कृपा ,रहमत =कृपा }

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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