उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 20)

17. निर्लज्ज शर्तनामा

सुल्तान की आज्ञा से उलूग खाँ और नुसरत खाँ एक बड़ी सेना लेकर राजपूताना पहुँचे। इस सेना के साथ हसन भी था जो अपनी योग्यता से अब तक एक योद्धा बन चुका था। जंग के मैदान में वह अक्सर नुसरत खाँ के साथ ही रहता था और कई मौकों पर नुसरत खाँ की रक्षा करके उसका भरोसा प्राप्त कर चुका था।

रणथंभौर के सीमावर्ती किले झैन पर मुस्लिम सेना ने आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण का नेतृत्व हसन ने किया। उसकी वीरता से राजपूत भी दंग रह गए और नुसरत खाँ वाह-वाह कर उठा। किले की रक्षा सैनिकों को मौत के घाट उतारकर उस पर मुस्लिम सेना का अधिकार कर लिया।

विजयी मुस्लिम सेना अब रणथंभौर की ओर चल पड़ी। हसन सारी सेना से आगे था। किले के पास पहुँचकर मुस्लिम सेना ने खेमे लगाए। नुसरत ने एक खरीता राजा के पास भिजवाया। जिस समय ये खरीता राजा के पास पहुँचा वह अपने दरबारियों के साथ मंत्रणा गृह में था। राजा ने मंत्री रतिपाल को खरीता पढ़ने को कहा।

रतिपाल ने खड़े होकर पढ़ना चालू किया- ‘जैसा कि मालूम है आप हिंदुओं के राजा हैं और हमारे सुल्तान जिल्लेइलाही मुस्लिमों के। आपने हमारे राज्य के कुछ नाफरमाबरदारों को अपनी पनाह में रखा हुआ है, जिससे सुल्तान अलाउद्दीन आपसे बेहद खफा हैं। आपको सजा देने के लिए सुल्तान ने हमें सेना सहित भेजा है, आप जानते होंगे हमने कितनी तीव्रता से आपके किले झैन पर कब्जा कर लिया है। पर हमारे सुल्तान बहुत दयालु हैं। उन्होंने रियायत बक्शते हुए आपसे अच्छा व्यवहार करने को कहा है, अगर आप सुल्तान की इन शर्तों को मान लेते हैं जो नीचे कलमबद्ध हैं-’

इतना खत पढ़कर रतिपाल ने रूककर राजा की ओर देखा। राजा स्थिर बैठा था बोला, ”पूरा पत्र पढ़ो।“

रतिपाल ने पढ़ा- ‘राजा अपनी रानियों और पुत्रियों के साथ हमारी सेवा में उपस्थित हो, किले की चाबियाँ सौंप दें, राज्य में मस्जिद की तामीर करवाकर सुन्नत कबूल करें। और…’ इतना पढ़कर मंत्री फिर रुका, राजा की आँखें तनिक लाल हो चली थीं, चेहरे की भावभंगिमा तनावपूर्ण। राजा बोला, ”पढ़ते जाओ।“

”पर महाराज, पत्र के आगे की भाषा अत्यंत लज्जापूर्ण हैं। सुल्तान ने सीमाएँ पार की हैं।“

”रतिपाल पढ़ो, हम भी जानना चाहते हैं, सुल्तान और कितनी लज्जापूर्ण शर्तें सोच सकता है। पढ़ो उस धृष्ट का पूरा पत्र निडर, निस्संकोच पढ़ो।“

”जी महाराज!“

‘राज्य में मस्जिद की तामीर करवा कर सुन्नत कबूल करें, और अपनी पत्नी, पुत्रियों और बहनों को दिल्ली के हरम में सुल्तान की सेवा में भेजें।’

रतिपाल के इतना पढ़ते ही वहाँ उपस्थित सारे सामंतों ने एक साथ म्यान से तलवारें खींच ली। एक साथ सबकी आवाजें गूँजी, ‘पापी सुल्तान की ये जुर्रत।’

राजा ने खड़े होकर सबको शांत किया फिर रतिपाल से बोला, ‘आगे पढ़ो।’

‘अगर राजा ने इन अहदों को कबूल न किया तो रणथंभौर के किले को खंडहर में तब्दील कर दिया जाएगा। राजा और उसके संबंधियों को मौत के घाट उतारकर उनकी पत्नियों के साथ जबरन बलात्कार किया जाएगा।’

”बस!“ चीख पड़े राजा हम्मीर, ”इससे आगे हम उसकी लज्जापूर्ण बातें नहीं सुन सकते, रतिपाल पत्र का उत्तर दो सुल्तान की इन निर्लज्ज शर्तों का उत्तर हम रणभूमि में देंगे।“

सभी सरदारों ने हवा में तलवार लहराकर राजा की बात का समर्थन किया। आपसी मंत्रणा के बाद राजसभा विसर्जित हुई। सभी युद्ध की तैयारियों में जुट गए।

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल [email protected] blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963