कविता

…और फिर तुम्हारी याद

 

एक छोटा सा धुप  का  टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……और फिर तुम्हारी याद

उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद

टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक  पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद

आज एक नाम खुदा का
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा  भी
और फिर एक नाम इश्क का
……और फिर तुम्हारी याद

One thought on “…और फिर तुम्हारी याद

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब.

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