प्रेम है सात्विक चरित्र का विस्तार
बादलों की तरह
मन में उमड़ आते है मृदु भाव
प्रेम करना मनुष्य का है स्वभाव
उठने लगते हैं भीतर शुभ विचार
प्रेम जीवन का है आधार
खिलते हैं सुमन
उपवन मे यही सोचकर
कोई तोड़ेगा नहीं हमें आगे बढ़कर
निज के व्यैक्तित्व की
स्वतंत्रता का होता हैं आभास
प्रेम है सात्विक चरित्र का विस्तार
याद में किसी के
खो जाने की होती है आश
जब जब आता हैं मधुमाश
रेशम के धागों के सदृश्य
होता हैं प्रणय पाश
प्रेम जीवन का है सार
प्रेम जीवन का है आधार
kishor kumar khorendra
कविता बहुत अच्छी लगी.