तू यदि नज़र आये..
तू यदि नज़र आये तो मुझे फरहत मिल जाये
मेरे बेक़रार दिल को तुमसे उलफत मिल जाये
मुझे हर तरफ तेरी ही तो परछाई दिखाई देती है
साया नहीं ,तुम आ जाओ तो मुहब्बत मिल जाये
मुझे अब तुम्हें याद करते हुऐ जीना आ गया है
दो कदम चल के तुम आओ तो जन्नत मिल जाये
खिल गए है बाग़ में गुल ,आ गयी है फसलें बहार
इतने करीब आओ की दोनों के हसरत मिल जाये
तेरी तस्वीर को ,तेरे अक्स को ,बहुत चाह लिया मैंने
मेरे मन की आरजू है ,रूबरू तेरी सोहबत मिल जाये
किशोर कुमार खोरेन्द्र