गीतिका/ग़ज़ल

कभी तेरे सवाल…

 

कभी तेरे सवाल तो, कभी तेरे जवाब आये
कभी तेरे ख्याल तो ,कभी तेरे ख़्वाब आये

चाहा तैरकर नदियां पहुँच जाऊं पास तेरे
पर मुझे डुबाने तेरे हुस्न के सैलाब आये

तू खुश्बू सी हर जगह हर तरफ व्याप्त है
तेरे खतों के जरिये मुझ तक गुलाब आये

कभी पर्दें के बाहर देखा नहीं तुझे ए पर्दानशीं
अक्सर मेरे तसव्वुर में तेरे अक्स लाजवाब आये

तुझसे मिलने ,सात समुन्दर पार कर आया हूँ
रोकने मुझे पर , कोहरा लिए मौसम ख़राब आये

तेरी इबादत करने का मुझे भी कोई तो फल मिलेगा
नहीं मिलता ,समझाने ,मस्लहत लेकर किताब आये

तुझसे जुड़ी ख्वाहिशों ने मुझे बरदार होने न दिया
मुसल्सल लुभाने मुझे सच से लगते सराब आये

किशोर कुमार खोरेन्द्र

(सैलाब=नदी का बाढ़ , पर्दानशीं =परदे में रहने वाली स्त्री ,
तसव्वुर =ध्यान , अक्स =छाया , मस्लहत=नीति ,बरदार =विरक्त
मुसल्सल=लगातार , सराब= मृगतृष्णा )

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.