कविता

लिये नूतन उमंग

 

लिये नूतन उमंग
आया ऋतुराज …बसंत

स्वच्छ   हैं नीला आकाश
जिस पर हैं श्वेत कोमल
मेघों का राज

हवा बह रही
अपनी मुट्ठी में भर
कण -पराग

रुचिकर लग रहा
सूर्य -प्रकाश

तट छोड़ मध्य में
बहते जल लग रहें
पीयूष समान

आनंदित हो विहंग उड़ रहें
खुशियों के
पंख -पसार

मौसम के स्नेह से
खिल उठे हैं
कण कण के संसार

प्रकृति के हाथों में हैं वीणा
मानव मन में गूंज रही हैं
उसकी मधूर झंकार

कोयल गा रही राग… पंचम
लिये नूतन उमंग
आया ऋतुराज ..बसंत

क्षण क्षण कहता -ठहरों
निहारों…….!

मुझसे प्रेम करों …
कह रहें वृक्षों पर उगी
नन्ही पत्तियाँ .बजाकर तालिया
खेतों में ऊगे जौं ..गेंहूँ की बालियाँ
सरसों की स्वर्णिम नरम डालियाँ
मनोरम …लगते है
सूर्योदय और सूर्यास्त के
सप्त …रंग
लिये नूतन उमंग
आया ऋतुराज ….बसंत

शुष्क रेत का ह्रदय भी
पसीज रहा
नदी के प्रवाह के प्यार के संग
घुलने कों
चूर चूर हो रहें हैं चट्टान
उपवन हो या कानन
पुष्पों ने बिखराए हैं ..सुगंध
लिये नूतन उमंग
आया ऋतुराज …बसंत

kishor  kumar khorendra 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “लिये नूतन उमंग

  • Man Mohan Kumar Arya

    सुन्दर, प्रभावशाली एवं प्रशंसनीय अभिव्यक्ति। हार्दिक धन्यवाद।

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