हास्य गीतिका
कम उमर में बाल आधे झड़ गये।
ब्रश किया पर दाँत पीले पड़ गये।
उनके घर की ओर जब निकले कदम,
ऑटोवाले रास्ते में लड़ गये।
और कितना जिंदगी तड़पाएगी,
गलियों के कुत्ते भी पीछे पड़ गये।
बिस्किटोंपर डेट था ताजा लिखा,
जाने भीतर में ही कैसे सड़ गये।
बेल्ट लोकल था छलावा कर गया,
बीच महफिल शर्म से हम गड़ गये।
भोर से ही लोग हँसते देखकर,
बार्बर जी कुछ तो कर गड़बड़ गये।
हमको जाना ही न था “गौरव” कहीं,
वो सवारी लादनेपर अड़ गये।
मज़ा आ गिया .
बहुत बहुत आभार आदरणीय गुरमेल जी…..