मैंने कर लिया है तुम्हे ह्रदयंगम
तुम हो मेरे हमदम
यदि तुम प्यार का सागर हो
तो मैं हूँ प्रेम मे तुम्हारे
उन्मत एक उदगम
तुम हो मेरे हमदम
तुम्हारे नाम को ,रूप को
रेखांकित कर चुका है
मेरा स्मृति पटल
मेरे मन में तुम्हारी याद
कभी न होगी कम
मैंने कर लिया है तुम्हे ह्रदयंगम
तुम हो मेरे हमदम
तुमसे मिलन की आश में
विरह को जीता आया हूँ अब तलक
मैं कई कई जनम
तुम हो मेरे हमदम
मेरी रूह की प्यास जो बुझा दे
अमृत से बनी वही
एक बूंद हो तुम शबनम
तुम हो मेरे हमदम
अच्छी कविता !
thankx a lot
भावुक !अच्छी है.
bahut dhnyvaad