गीतिका/ग़ज़ल

एहसास ज़िन्दगी का हर बार नहीं होता

इन्कार नहीं होता इकरार नहीं होता
कुछ भी तो यहाँ दिल के अनुसार नहीं होता
 
लेगी मेरी मोहब्बत अंगड़ाई तेरे दिल में
कोई भी मोहब्बत से बेज़ार नहीं होता
 
अब शोख़ अदाओं का जादू भी चले दिल पर
ऐसे तो दिलबरों का सत्कार नहीं होता
 
कैसे भुला दूँ, तुझसे, मंज़र वो बिछड़ने का
एहसास ज़िन्दगी का हर बार नहीं होता
 
सुनकर सदायें दिल की फ़ौरन ही चले आना
अब और ‘नदीश’ हमसे इसरार नहीं होता
©®  लोकेश नदीश

 

One thought on “एहसास ज़िन्दगी का हर बार नहीं होता

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

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