कविता

तुम मुझे विस्मृत……..

 

तुम मुझे विस्मृत करने की कोशिश में हो
सरापा भींगें हुए मेरी यादों की बारिश में हो

छोड़कर इस जहाँ में तन्हा मुझे ,चल दोगे
सितमगर बनने की तुम पूरी साजिस में हो

आखिर क्यों होता है हश्र यही उल्फत का
घिरे जैसे हम दोनों आज आतिश में हो

गुलाब का फूल भेजा था ,कांटें मेरे पास हैं
ऐसा क्यों लगता है पर ,तुम खलिश में हो

रेल की तरह दूर निकल जाओगे तब तुम्हें
अहसास होगा मेरी निगाहों की कशिश में हो

किशोर कुमार खोरेन्द्र

{सरापा =सर से पांव तक ,सितमगर =अत्याचारी
हश्र =परिणाम ,उल्फ़त =प्रेम ,आतिश =अग्नि
खलिश =चुभन ,कशिश =आकर्षण }

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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