हाइकु
कमल पर चंद हाइकु
1
जोगी जलज
जमें वैसा न बनें
जग या पंक
2
निर्सुगंध हो
ज्ञान-बोध का स्तम्भ
पंक में पद्म।
3
पा परिच्छिन्न
नीरजात नीरज
प्रफुल्ल पद्मा
4
जीव का रोला
कलासी खिली वल्ली
पंक में पद्म
=
रोला = घमासान युद्ध
कलासी = दो पत्थर या दो लकड़ी के जोड़ के बीच का स्थान
बढ़िया हाइकु !
बहुत बहुत धन्यवाद आपका