उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 27)

24. नियुक्त

1299 में मंगोलो ने डुतुलुग ख्वाजा की अधीनता में दो लाख की सेना के साथ दिल्ली सल्तनत पर हमला किया। कोतवाल अला-उल-मुल्क की सलाह ठुकराकर अलाउद्दीन ने जफर खाँ को मंगोलो की रोकथाम के लिए भेजा। यद्यपि मंगोल सेना ने जफर खाँ का वध कर दिया, फिर भी जफर खाँ की बहादुरी से वो हराकर भागने को विवश हुए।

उसके ठीक अगले वर्ष रणथंभौर के अभियान में घायल नुसरत खाँ को हसन ने सावधानी पूर्वक कत्ल कर दिया। यह घटना पाठक पूर्व के पृष्ठों में पढ़ चुके हैं। प्रत्यक्षता सुल्तान यही समझता रहा नुसरत खाँ रणथंभौर अभियान में मारा गया।

सुल्तान की एक बेगम का भाई अल्प खाँ इस वक्त गुजरात का सूबेदार था। इन मशहूर सिपहसालारों की गैरमौजूदगी में सुल्तान ने काफूर को ‘मलिक’ का खिताब अता किया और देवगिरी पर हमला करने वाले लश्कर की कमान सौंपी।

यह आज का मलिक काफूर कभी गुजरात में एक साहूकार के यहाँ नौकर था, जिसे नुसरत खाँ 1299 में गुजरात के लूट के माल के साथ लाया था और सुल्तान ने इस तेजस्वी युवक को अपनी निजी सेवा में ले लिया था। मलिक काफूर, सुल्तान की हर तरह से सेवा किया करता था, इस तरह वह सुल्तान का कृपापात्र और विश्वास पात्र बन गया। दरबार में काफूर को दक्षिण की कमान सौंपकर सुल्तान ने उसे मध्य रात्रि में अपने निजी कक्ष में बुलाया।

काफूर ने सुल्तान के कदमों में झुककर कहा ”सुल्तानेआला ने जो इज्जत बख्शी है उसके लिए काफूर सुल्तान और अल्लाह दोनों का शुक्रिया अदा करता है।“

”काफूर तुम मेरे प्रिये गुलाम हो और तुम्हें मैंने वो इज्जत दी है जो किसी को नहीं। तुम्हें हमने अपने साथ बिस्तर पर लिटाकर अपने साथ गैर अनासिर हमबिस्तरी की छूट दी। एक सुल्तान जो यह सुख चाहता था वो तुमने उसे दिया। हम तुम्हारी मर्दांनगी के कायल हैं, जैसे तुमने बिस्तर पर हमें एक सुल्तान को लड़खड़ाने पर मजबूर किया वह भी काबिले तारीफ है।“

”यह तो सुल्तान की जर्रानवाजी है, वरना नाचीज की हैसियत ही क्या थी। आप देखना सुल्तान आपका यह गुलाम काफूर आपके कदमों में दक्षिण से लाई दौलत और औरतों के ढेर लगा देगा।“

सुल्तान आगे बढ़कर काफूर के कंधे थपथपाता है। फिर उसका हाथ पकड़कर बिस्तर पर आ जाता है। कुछ देर बाद शमा की धीमी लौ में काफूर, सुल्तान के शरीर के ऊपर अपने शरीर का वजन डालने लगता है।

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल [email protected] blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963

One thought on “उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 27)

  • विजय कुमार सिंघल

    रोचक उपन्यास. कहानी रोमांचक मोड़ ले रही है.

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