विचार शक्ति
हमारा व्यक्तित्व विचार और चिन्तन से बनता है। यह जीवन भर के चिन्तन और समस्त विचारों का प्रतिफल होता है। हम विचारों के द्वारा ही उन्नति कर जीवन के उच्चतम लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जीवन वैसा ही होता है जैसा हमारे विचार उसे बनाते हैं क्योंकि यह विचारों का दर्पण है। इस प्रकार विचार जीवन की आधारशिला हैं। हमारे पास कितनी भी धन, दौलत और समृद्धि क्यों न हो परन्तु यदि हमारे विचार और चिन्तन में हर समय धन की लालसा बनी रहती है तो हमसे बड़ा गरीब इस दुनिया में नहीं मिलेगा। इसके विपरीत हम फकीर होते हुए भी यदि संतोषी स्वभाव के हैं तो अनन्त ऐश्वर्यों के स्वामी बन कर सुखी जीवन बिता सकते हैं।
भय व शंका के विचार रहने पर हम किसी भी कार्य को करने से पहले ही असफलता की आशंका से ग्रस्त हो जाते हैं, फिर हमें सफलता कैसे मिल सकती है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए विचारों में सकारात्मकता और दृढ़ता का होना आवश्यक है। विषम परिस्थितियों में भी संतुलित मानसिक स्थिति और रचनात्मक सोच के द्वारा हम सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं । नकारात्मक सोच होने पर हमारे अन्दर प्रत्येक गलती के लिए अपने को दोषी समझने की आदत बन जाती है। इस स्थिति से विचार शक्ति के द्वारा ही निकला जा सकता है। मनुष्य सदा क्रियाशील रहता है। उसके कर्मों, भावना और विचार शक्ति का गहरा सम्बन्ध रहता है। मन एक कार्यशाला है जिसमें न केवल चिन्तन होता है अपितु विचारों का उदय भी मन में ही होता है। विचारों की शुद्धता, परिपुष्टता और उत्कृष्टता के लिए मन का शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है।
मन को शुद्ध करने के लिए सम्पूर्ण जीवन में अर्थात् मनुष्य के समस्त कार्यों व व्यवहार में सत्य का होना परम आवश्यक है। दुनिया में यदि कोई व्यक्ति महान् बना है तो तो उसके पीछे उसकी विचार शक्ति रही है। राम, कृष्ण, महावीर, गौतम बुद्ध आदि जितने भी महापुरुष हुए हैं, वे अपने उत्कृष्ट विचारों के कारण ही अनेक बलिदान कर महान् पद प्राप्त कर पाए थे। हमें सुखी, समृद्ध और पवित्र जीवन के लिए विचार शक्ति को शुद्ध और परिपुष्ट बनाना चाहिए।
कृष्ण कान्त वैदिक