कविता

नूतन गीत

 

तुम्हारे रखते ही कदम 
उपवन की 

उदास कलियाँ गयी खिल 
पत्तियों की नोकों पर 
अटकी हुई बूंदें गयी गिर 

बड़ने लगा नदी का जल स्तर
प्यासे खेतों की माटी तक पहुँचा नीर 

निशाने पर लगा 

तुम्हारी नज़रों का तीर 

मेरे मन आकाश में

ऊग आया इन्द्रधनुष

मेरे ह्रदय के गमले में

प्रेम का सुप्त बीज हुआ अंकुरित 

मेघ  बनकर मैं बरसने लगा 

भादों सा रिमझीम

सोंधी सोंधी महक छोड़ गयी तुम 

 मेरी साँसों में हो गयी वें विलीन


तलाशता रहा तुम्हे
पर तुम तो हो आकृति विहीन 

फिर भी तुम्हे याद करता हूँ 

वियोग ही है प्रीत
मेरे स्पंदन की लय  पर 

गूँज उठा स्नेह का नूतन गीत 


किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “नूतन गीत

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    खोरेंदर भाई , मज़ा आ जाता है आप की कविता पड़ कर .

  • मीनाक्षी सुकुमारन

    तलाशता रहा तुम्हे
    पर तुम तो हो आकृति विहीन

    फिर भी तुम्हे याद करता हूँ

    वियोग ही है प्रीत
    मेरे स्पंदन की लय पर

    गूँज उठा स्नेह का नूतन गीत

    ………………..अति सुंदर

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