कविता

कविता : नहीं चाहिये भीख…

मेरे देश में आते हैं

विश्व की सबसे बडी पहचान

मुझे पहनना चाहिये अच्छे ही परिधान

क्यों में दिखूँ अमेरिका के सामने गरीब

बराबरी का सौदा करना हो

जब नहीं चाहिये भीख……

सबने मिलकर आआपा को जिताया है…

किरण की सच्ची किरणों का विरोध दिखाया है….

आम-आम करके ‘आम’ को बना गये गुठली

खा लिया सारा गुदा कर करके चुगली

‘आम’ को समझ ना आयी तेरे मन की रीति

कहाँ गयी तुम्हारी नीति

कैसी है तुम्हारी प्रीति?

— संगीता कुमारी

संगीता कुमारी

पिता का नाम---------------श्री अरुण कुमार माथुर माता का नाम--------------श्रीमती मनोरमा माथुर जन्मतिथी------------------- २३ दिसम्बर शिक्षा सम्बंधी योग्यता-----दसवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बारहवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बी.ए, दिल्ली विश्वविद्धालय एम.ए (अंग्रेजी), आगरा विश्वविद्धालय बी.एड, आगरा विश्वविद्धालय एम.ए (शिक्षा) चौधरी चरणसिंह विश्वविद्धालय रुचि--------------------------पढना, लिखना, खाना बनाना, संगीत सुनना व नृत्य भाषा ज्ञान-------------------हिंदी, अंग्रेजी काव्य संग्रह--- ह्रदय के झरोखे (यश पब्लिकेशन दिल्ली, शाहादरा) कहानी संग्रह--- अंतराल (हिंदी साहित्य निकेतन, बिजनौर उत्तर प्रदेश) काव्य संग्रह संगीता की कवितायें (विंध्य न्यूज नेट्वर्क) पता--- सी-72/4 नरोरा एटॉमिक पावर स्टेशन, टाउन शिप, नरोरा, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, पिन—203389 मोबाईल नम्बर—08954590566 E.mail: [email protected] [email protected] www.sangeetasunshine.webs.com

2 thoughts on “कविता : नहीं चाहिये भीख…

  • विजय कुमार सिंघल

    जनता ने बहुत मूर्खता की है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    यह जनता है जी , कभी भी बदल सकती है.

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