उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 30)

27. स्नेह बंधन

बगलाना के महल में राजकुमारी देवलदेवी का कक्ष, गुजरात के राजकुमार भीमदेव एक सज्जित आसन पर बैठे हैं और उन्हीं के सम्मुख राजकुमारी देवलदेवी विराजमान हैं। थोड़ी दूर पर एक शय्या है, जिस पर रेशमी बिछावन है। कक्ष की दीवारों पर कुछ प्राकृतिक चित्र लगे हैं, और कुछ ऐतिहासिक एवं पौराणिक वीरों के। पुष्प पात्रों में एक दासी पुष्प सज्जा कर रही है, यह देवलदेवी की विशेष दासी है या यूँ कहो तो देवलदेवी की अंतरंग सखी। नाम प्रमिला।

”तो कुमार के कहने का अर्थ है, (देवलदेवी ने तनिक मुस्कान के साथ) हमारे दर्शन की अभिलाषा उन्हें यहाँ ले आई।“

”हाँ, सत्य सोचा आपने राजकुमारी जी, युवराज के मुख से आपके सौंदर्य की इतनी प्रशंसा सुनी कि हमने उनसे यहाँ आने की आज्ञा प्राप्त कर ली।“

”और युवराज, क्या आपको सहज ही आज्ञा प्रदान कर दी, यहाँ आने के लिए आपका उतावलापन देखकर इसका कारण जानने की चेष्टा नही की।“

”अरे, वह आज्ञा ही कहाँ प्रदान कर रहे थे। वह तो स्वयं ही अपनी प्रेयसी को देखने को लालयित थे।“ कुमार भीमदेव की बात सुनकर राजकुमारी देवलदेवी तनिक लज्जा से आँखें झुकाकर पृथ्वी देखने लगती है। पुष्प सज्जा कर रही दासी भी कुमार की ओर देखती है। कुमार उसे अपनी ओर देखते पकड़ लेते हैं, दोनों की तिर्यक नजर मिलती है। दासी भी लाज से अपने कार्य में पुनः व्यस्त हो जाती है।

राजकुमार भीमदेव ने पुनः राजकुमारी की ओर आकृष्ट होकर कहा ”पर हम भी अड़ गए हैं। हम ने कहा भ्राताश्री आपको आज्ञा देनी ही होगी, हम भी अपनी भाभी के सौंदर्य को निहारने चाहते हैं। और हम आपकी विदाई के लिए चल पड़े।“

” ‘भाभी’ कितना मधुर है यह संबोधन। ऐसा लगता है जैसे किसी ने कानों में मिश्री घोल दी हो। ‘कुमार’ या तो समय की गति ठहर जाए या फिर तुम युगों-युगों तक हमें इसी संबोधन से पुकारते रहो।“

”अवश्य राजकुमारी, अब तो आपको सदैव से इसी संबोधन से पुकारना पड़ेगा। युवराज अत्यंत भाग्यशाली हैं जो आप उन्हें पत्नी रूप में प्राप्त हुईं, उन्होंने अवसर ही नहीं दिया अन्यथा…“

”अन्यथा क्या कुमार?“

राजकुमार भीमदेव हँसते हुए बोले, ”अन्यथा राजकुमारी के सौंदर्य पर विमुग्ध हो संभवता हम भी प्रणय निवेदन करते।“

”ओह, तो कुमार परिहास भी जानते हैं।“

”यदि राजकुमारी को परिहास में त्रुटि दिखाई देती है तो भीमदेव क्षमा माँगता है।“

”क्षमा, क्यों कुमार क्षमा किसलिए। हमारा तो संबंध ही परिहास और स्नेह का है। और हाँ, कुमार कदाचित हम आपकी स्निग्धता पर हम आपका प्रणय निवेदन स्वीकार कर लेते हैं।“

राजकुमार भीमदेव हा, हा, हा, करके हँसते हुए बोले, ”यदि आज के समान स्थिति होती तो हम आपसे परिणय निवेदन नहीं करते।“

”क… क… क्यों कुमार?“

”तब हम आपकी इस दासी से प्रणय निवेदन करते, जो अपनी मनोहारी छटा से मन मोह रही है।“

”ओह कुमार, यह दासी नहीं हमारी सखी है।“

”यह तो ओर अच्छा हुआ, अब हम अपनी भाभी से निवेदन करेंगे कि वह अपनी सखी से हमारा प्रणय निवेदन स्वीकार करने को कहें।“

कुमार की बात पर; कुमार और राजकुमारी दोनों हँसने लगते हैं, दासी लज्जा कर खड़ी हो जाती है।

राजकुमारी हँसते हुए ही बोली, ”ठीक है कुमार, हम आपकी प्रमिला से अनुशंसा कर देंगे। क्यों री प्रमिला ठीक है न?“ प्रमिला के स्निग्ध होंठो पर लाज की मुस्कान बिखर जाती है। जिसे कुमार और राजकुमारी दोनों देख लेते हैं।

”तो कुमार प्रस्थान कब करना है?“ राजकुमारी बोली।

”अति शीघ्र भाभी। पर एक शर्त है।“

”क्या कुमार?“

”आप अपने साथ अपनी सखी भी ले चलेंगी।“

”अवश्य, अब तो प्रमिला स्वयं हमारे साथ आने को आतुर होंगी।“

कक्ष पुनः राजकुमारी और कुमार की उन्मुक्त हँसी और प्रमिला की लज्जाशील मुस्कान से सुवासित हो उठा।

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल [email protected] blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963