कविता – वासंती गीत
एक समय था जब,
दिल में गूँजते थे प्रेम गीत
मौसम सुहाना हो गया था ,
चहुंओर प्यार की खुशबू फैली थी
वसंत का आगमन हो चुका था ॥
फूलों की भीनी खुशबू से सुवासित थी
यह अनुपम धरा…..
सबकुछ इतना सुंदर था जैसे,
एक सुखद स्वप्न …..
पतझर के मौसम को अपने प्रेम गीतों से
वासंती करता वो गीत,
आज भी गूंज रहा है समय के
आर-पार ……
आओ सुनो ना ,,,,,,
मौसम के गीतों से रंगे उन
मन के गीतों को …….
आखिर वसंत भी तो मन का ही एक
अमूल्य हिस्सा है …..!!!
संगीता सिंह ”भावना”