शपथ ग्रहण समरोह
अक्सर देखा जाता है कि किसी किसी मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समरोह एक बहुत बड़े सार्वजानिक मेले की रूप में मनाया जाता है. मेरे विचार में किसी भी संवैधानिक पद का शपथ ग्रहण करना एक अनिवार्य काम है,जो संविधान की मर्यादा में शासकीय ढंग से कार्यान्वित होना चाहिए, जैसे प्रधान मंत्री का शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन में और मुख्यमंत्री का राजभवन मे. ऐसे आयोजनो पर फ़िज़ूल पैसा खर्च करना कहाँ तक उचित है? यह धन की बर्बादी मात्र है.
इससे तो अच्छा है कि जिन गणमान्य लोगों को , वीरता, खेल, समाज सेवा, कला, साहित्य, या अन्य क्षेत्रो में विशिष्ट पदक आदि दिए जाते हैं, उनके लिए पुरस्कार वितरण समारोह सार्वजनिक रूप से आयोजित किया जाये.
इस सम्बन्ध में आपका क्या विचार है, जानना चाहूँगा.
यह बात मैं तो हमेशा से कहता आया हूँ और आज केजरीवाल के शपथ समरोह के तयारीआन देख कर कम पड़ी मेरी वाइफ कहने लगी , यह लोग पागल नहीं हैं ? इतना पैसा बर्बाद कर रहे हैं , किस लिए? यह रथ यात्राएं , यह बड़ी बड़ी रैलिआन , यह करोड़ों का खर्च किस लिए , जब कि लोग ग़ुरबत में चक्की पीस रहे हैं . हम यहाँ पिछले पचास वर्ष से रह रहे हैं . इलेक्शन पर किसी को पता भी नहीं चलता . हर पार्टी अपने अपने लीफ्लैत घरों में फैंक जाते हैं . पोलिंग स्टेशन दो तीन लद्किआन बैठी होती हैं , लोग अपने बच्चे साथ लेकर वोट डालने जाते हैं , कोई भीड़ नहीं होती . कोई शोर शराबा नहीं होता , जो डिसेबल लोग हैं जैसे मैं हूँ , घर में ही हमारे वोटिंग पेपर आ जाते हैं , जिस को वोट डालना हो , क्रॉस लगा कर लाफाफा बंद करके मेरी मिसज़ उसे पोस्ट कर देती है. किसी को पता भी नहीं चलता कि इलेक्शन हो रही है. जब यह अमीर देश इलेक्शन पर इतना धन वेस्ट नहीं करता तो भारत जैसा देश यहाँ लोग भूखे मर रहे हैं , किसान आतम हतिआएन कर रहे हों तो इतना धन बर्बाद करना पागलपन नहीं तो और किया है ?
मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ. ऐसे समारोह बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से आयोजित करना धन की स्पष्ट बर्बादी है. इसकी बजाय ऐसे समारोह छोटे पैमाने पर आयोजित करने चाहिए और यदि आवश्यक हो तो उनको सीधे दूरदर्शन पर प्रसारित कर देना चाहिए, ताकि जो देखना चाहें वे देख सकें.
आपकी यह सलाह भी सही है कि पुरस्कार आदी समारोह सार्वजनिक रूप से आयोजित होने चाहिए. लेकिन उनमें भी धन का अपव्यय न हो यह देखना आवश्यक है.