तुम और पाक हो जाओगी
मेरा ह्रदय
मौन का घर है
ख़ामोशी की ईटों से
बनी है इसकी दीवार
मेरी तन्हाई रहती है यहाँ
जिसका तुम्हारे सिवाय
किसी और से
नहीं है सरोकार
तुम और पाक हो जाओगी
इसमे
रहने के दौरान
तुम्हारी याद में
मेरे तसव्वुर ने किया है
इस मकान का निर्माण
तुम्हारा दिल
मेरे दिल में मिल जायेगा
कहाँ रख पाओगी उसे
खुद तक ही बरकरार
यहाँ की खिड़कियाँ ,परदे ..
सभी हैं पारदर्शी
देख सकती हो तुम
मुझे …आर पार
तुम्हारी रूह का ..
मेरी रूह कों है
बस इंतज़ार
तुम्हारे प्यार की उँगलियों का
पाते ही स्पर्श
मिल जाएगा मुझे निर्वाण
kishor kumar khorendra
बढ़िया !
shukriya vijay ji