बाल गीत – दुकान
जंगल में चूहे ने खोली, अपनी एक दुकान
हल्दी, धनिया, मिर्च, मसाला, घर का सब सामान
चीटी शक्कर लेती उससे , हाथी लेता केला
पूरे पैसे सब देते थे, करते नहीं झमेला
पर बिल्ली ने कर रखा था, उसका चैन हराम
लेती थी सामान सभी पर, देती कभी न दाम
— परशुराम शुक्ल
बच्चे बहुत खुश होंगे यह कविता पड़ कर.
बहुत अच्छी बाल कविता !