बाल कविता

बाल गीत – दुकान

जंगल में चूहे ने खोली, अपनी एक दुकान
हल्दी, धनिया, मिर्च, मसाला, घर का सब सामान
चीटी शक्कर लेती उससे , हाथी लेता केला
पूरे पैसे सब देते थे, करते नहीं झमेला
पर बिल्ली ने कर रखा था, उसका चैन हराम
लेती थी सामान सभी पर, देती कभी न दाम

परशुराम शुक्ल

परशुराम शुक्ल

डॉ. परशुराम शुक्ल ,एम.ए.,पी -एच.डी.,प्रकाशित पुस्तकें- कलरव, नंदनवन,सूरज पाना है,बाल सतसई, भारत के राजकीय प्राकृतिक प्रतीक सहित बाल कविताओं की ३२ ,बाल कहानियों की २४ ,बाल नाटकों की एक ,बाल उपन्यासों की २ ,सूचनात्मक बाल साहित्य की १०० से अधिक पुस्तकें ,विश्वकोश ८ एवं अन्य विषयों की लगभग ३० पुस्तकें . पुरस्कार , सम्मान ,और अनुदान -केंद्रीय हिंदी निदेशालय ,समाज कल्याण मंत्रालय ,पर्यावरण और वन मंत्रालय ,भारत सरकार, नई दिल्ली , चिल्ड्रेन्स बुक ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ,नई दिल्ली ,हिंदी अकादमी ,हैदराबाद ,मध्य प्रदेश लेखक संघ ,भोपाल आदि .शोधकार्य -बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय,भोपाल द्वारा राजेंद्र कुमार शर्मा को 'डॉ.परशुराम शुक्ल की बाल कविता :एक अध्ययन ' और श्रीमती प्रियंका गुप्ता को 'डॉ.परशुराम शुक्ल का बाल साहित्य:एक समीक्षात्मक अध्ययन 'पर एम .फिल .तथा श्रीमती सुधा मिश्रा को 'हिंदी बाल कविता में नए प्रयोग :परशुराम शुक्ल के विशेष संदर्भ में ',पर पी-एच. डी./जीवाजी विश्वविद्यालय,ग्वालियर द्वारा श्रीमती शुचिता सेठ को 'डॉ.परशुराम शुक्ल का बाल साहित्य :एक अनुशीलन ',राम शंकर आर्य को 'परशुराम शुक्ल के बाल साहित्य में मनोरंजन एवं नैतिकता ' तथा श्रीमती रश्मि चौबे को 'डॉ.परशुराम शुक्ल तथा डॉ.रोहिताश्व अस्थाना के बाल साहित्य का तुलनात्मक अनुशीलन ' पर पी-एच.डी .संपर्क -ब्लॉक-आइवरी ,फ्लैट न.-२३ ,प्लैटिनम पार्क (प्लैटिनम प्लाजा ),टी.टी.नगर ,भोपाल (एम.पी.)४६२००३ मोबाइल -९९२६८५६०८६

2 thoughts on “बाल गीत – दुकान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बच्चे बहुत खुश होंगे यह कविता पड़ कर.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बाल कविता !

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