हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,.बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,.बोलो तुम क्या कर लोगे
मरता हूँ मैं, और मरूँगा, …बोलो तुम क्या कर लोगे
तुम पत्थर हो लेकिन प्रियतम मैंने तुमको प्रभु माना
तुम्हें पूजकर ही मैं तरूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
तुमसे कब चाहा मैंने कि,..तुम भी मुझसे प्यार करो
तुमसे कब माँगा मैंने कि, …तथ्य मेरे स्वीकार करो
तुमसे कब की अभिलाषा, ..कि तुम मेरे आँसू पोंछो
विरह घट मैं स्वयं भरूँगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,बोलो तुम क्या कर लोगे
आंसू है पर्याय प्रेम के, …..मैं भी पियूँगा जी भर के
तुम्हें देख कर जिंदा हूँ मैं,…और जियूँगा जी भर के
तुमको जीना है तो जियो, या फिर तुम देखो मर के
तुमसे पहले वहां मिलूँगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,बोलो तुम क्या कर लोगे
नहीं तुम्हारे लायक मैं, माना मुझमे विकार बहुत हैं
पाप पुण्य परिधि से परे प्रिय जग में संसार बहुत हैं
इस पार प्रिये मजबूरी है उस पार मेरे संग प्रभु होंगे
तब मैं तुमसे प्रश्न करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,बोलो तुम क्या कर लोगे
मैं नहीं तुम्हारी बातों में, कोई और तुम्हारी यादों में
मैं चाहे कुछ भी कर लूं पर विश्वाश नहीं मेरे वादों में
मैं भी तो देखूँ आखिर कब तक मुझको ठुकराओगे
इतनी जल्दी नहीं टरूँगा,. बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा,बोलो तुम क्या कर लोगे
द्रवित करो कितना भी हृदय,चाहे जितना तड़फाओ
अभिलाषायें धूमिल करदो,काल मेरा तुम बन जाओ
मैं भी तो देखूँ आखिर,. तुम कब तक मुझे रुलाओगे
प्रिय, मैं ऐसे नहीं मरूँगा,….बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
नहीं चाहिए मोक्ष तुम्हारा, … मुझको अपने गम दे दो
सारे सपने फिर से जी लो, ….मुझको सारे तम दे दो
कुछ खुशियाँ जी कर देखो, जी भरकर फिर रो लेना
अश्रु तुम्हारा बनके बहूँगा,…बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!, प्रिय मेरी अभिलाषाओं का कोई विस्तार नहीं है
मुझको केवल इतना पता है तुमसे प्यारा प्यार नहीं है
जो भी हो देखा जायेगा,.. पर अब तुम केवल मेरी हो
अब में आगे नहीं कहूँगा,…..बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
ज्ञात है मुझको प्रेम तुम्हारा है, प्रभु का वन्दन करना
मुझे, विदारित करता है, प्रियतम तेरा कृन्दन करना
हाँथ थाम लो तुम मेरा,.. मुझमे भी हिम्मत आ जाए
फिर मैं भी नहीं डरूँगा,… बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
माना झूटी आस ही थी,.. माना केवल विश्वाश ही था
माना तुमने बस झूठ कहा.. कि मैं तुम्हारे पास ही था
तुम संग जो खुशियाँ मैंने, …इस मृगतृष्णा में पायीं हैं
फिर से मैं बस तुम्हें वरूँगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!, प्रिय मेरी अभिलाषाओं का कोई विस्तार नहीं है
मुझको केवल इतना पता है तुमसे प्यारा प्यार नहीं है
जो भी हो देखा जायेगा,.. पर अब तुम केवल मेरी हो
अब में आगे नहीं कहूँगा,…..बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
सही गलत के उपाहपोह में, जीवन क्योँ छोडूँ अपना
तुमने अपना हित देखा, पर मैं प्रण क्योँ तोडूँ अपना
अंतिम प्रेम तुम्हें माना, तुम कभी तो वापस आओगे
सदा तुम्हारी राह तकूंगा, ..बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
प्रेम नहीं परिहास था बस, ये कह कर विस्मित कर दो
हृदय विदारित कर मेरा तुम मुझको विचलित कर दो
अपने दिल की तुम जानो,मैंने तो है बस प्यार किया
अब आहें भी मैं ही भरूँगा, .बोलो तुम क्या कर लोगे
हाँ!! मैं तुमसे प्यार करूंगा, बोलो तुम क्या कर लोगे
________________________अभिवृत
बहुत खूब.
आपका हार्दिक आभार गुरुमेल जी
बहुत सुन्दर गीत !
“हाँ!, प्रिय मेरी अभिलाषाओं का कोई विस्तार नहीं है.
मुझको केवल इतना पता है तुमसे प्यारा प्यार नहीं है.”
वाह वाह !!
आपका हार्दिक आभार विजय जी