वफ़ा
जज्बएदिल का खुतूत हूँ
शब्दों में मेरे
इश्क़ का जुनून हैं
पढ़कर जिसे
छा जाए
वो सुरूर हूँ
ख़्वाबों का खुशरंग हूँ
साकार सा लगे
ऐसा तसव्वुर हूँ
खुश्बू हूँ
उल्फ़त का तरन्नुम हूँ
मैं तुम पर निसार हूँ
इसलिए मुझे
गुनाहगार न समझों
मैं नहीं कुसूरवार हूँ
हिज्र का नसीब हूँ
इसलिए तुमसे बहुत दूर हूँ
मुझ तक कोई नहीं पहुँच पायेगा
मैं उफ़ुक हूँ
फिर भी अपनी वफ़ा को
निभाने के लिए मशहूर हूँ
— किशोर कुमार खोरेन्द्र
किशोर जी बहुत खूब लेकिन कुछ मुश्किल शब्दों के अर्थ भी लिख देते जैसे आप लिखा करते हो तो और मज़ा आ जाता.
thank u
वाह !
dhnyvad