वजूद
मैं कायदा हूँ या तू रिवाज है
मेरे मन में यहीं कशमकश है
तुम हो तो मेरा वजूद है
साथ मेरे ,तेरा अक्स है
प्यार करना गुनाह नहीं है
प्रतिबंध मगर सख्त है
यूँ तो मुझे कोई गम नहीं है
मेरी आँखों में फिर भी अश्क है
आबे रवा सा तेरा हुश्न है
आबे सियाह सा मेरा इश्क है
किशोर कुमार खोरेन्द्र
{आबे रवा =बहता पानी
आबे सियाह =गहरा पानी }