रोज सवेरे आता सूरज
रोज सवेरे आता सूरज
धूप सुनहली लाता सूरज
छुट्टी मिलती कभी न इसको
दिन भर दौड़ लगाता सूरज ।
जाड़े के दिन भाता सूरज
गरमी में झुलसाता सूरज
पड़ती है जब रिमझिम बारिश
बादल में छुप जाता सूरज ।
ठीक समय से आता सूरज
अंबर पर मुस्काता सूरज
देकर अपनी किरणें सबको
कभी नहीं इतराता सूरज ।
पौधों को हर्षाता सूरज
फूलों को महकाता सूरज
सबमें जीवन भरने नित दिन
नीचे भू पर आता सूरज |
बहुत सुंदर एवं मनोरंजक कविता। बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा के जरिये सामाजिक कल्याण
की प्रेरणा देने वाली है। बहुत-बहुत बधाई।
आभार आपका गुरमेल जी.
बहुत सुन्दर कविता , सूर्य ही जीवन है , सूर्य ही शक्ति और सूर्य से हम हैं.