कविता

होली पर दोहे

दहे होलिका वैर की, खिले प्रेम प्रह्लाद |
सदय दृष्टि प्रभु की रहे, बरसे बस आह्लाद ||१

इस होली सुन लीजिए, इतनी सी फ़रियाद |
आज चमन को कीजिए काँटों से आज़ाद ||२

प्रगटे मनु तिथि पूर्णिमा, उत्सव हुआ अपार |
जगती के प्रारम्भ का, वासंती त्यौहार ||3

इत हाथों में लाठियाँ, उत है लाल गुलाल |
बरसाने की गोपियाँ, नन्द गाँव के ग्वाल |४

कहाँ क्रूर अति पूतना, कहाँ सुकोमल श्याम |
अद्भुत लीला आपकी, हर्षित गोकुल धाम ||५

गुँझिया से मीठे लगें,गोरी तेरे बोल|
गारी पिचकारी हुई,रंग माधुरी घोल ||६

कहाँ सुहाए चंद्रिका, मन तो हुआ चकोर |
राधे सबसे पूछतीं, कित मेरा चितचोर ||७

कान्हा कैसी बावरी, मूढ़ मति भई आज |
नैना चाहें देख लें, डरूँ न छलके राज ||८

कितना छिपकर आइए,गोप-गोपिका संग |
राधे से छिपते नहीं, कान्हा तोरे रंग ||९

तन-मन सारे रँग गए, खूब चढ़ा ली भंग |
कैसे भूलूँ भारती, मैं केसरिया रंग ||१०

फागुन ने मस्ती भरी, कण-कण में उन्माद |
विरहिन का जियरा करे, अब किससे फ़रियाद ||११

बड़ा दही-कर छोड़कर, कांजी संग मुस्काय |
रसगुल्ले का ले गई, गुँझिया हृदय चुराय ||१२

एक वेश-परिवेश सब, रंग-उमंगों डूब |
गले मिलन रसिया चले, हुई धुलाई खूब ||१३

देख सयानी बेटियाँ, किसका रंग गुलाल |
कैसे पीले हाथ हों, सोचे दीन दयाल ||१४

— ज्योत्स्ना शर्मा

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

परिचय : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा जन्म स्थान : बिजनौर (उ0प्र0) शिक्षा : संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि ( लब्ध स्वर्ण-पदक )एवं पी-एच 0 डी0 शोध विषय : श्री मूलशंकरमाणिक्यलालयाज्ञनिक की संस्कृत नाट्यकृतियों का नाट्यशास्त्रीय अध्ययन । प्रकाशन : 'ओस नहाई भोर'(एकल हाइकु-संग्रह), 'महकी कस्तूरी'(एकल दोहा-संग्रह), 'तुमसे उजियारा है' (एकल माहिया-संग्रह) । अन्य प्रकाशन - ‘यादों के पाखी’(हाइकु-संग्रह ), ‘अलसाई चाँदनी’ (सेदोका –संग्रह ) एवं ‘उजास साथ रखना ‘(चोका-संग्रह), हिन्दीहाइकुप्रकृति-काव्यकोश,, डॉसुधागुप्ताकेहाइकु मेंप्रकृति( अनुशीलनग्रन्थ),हाइकु –काव्यशिल्पएवंअनुभूति,समकालीनदोहाकोशमेंरचनाएँप्रकाशित।विविध राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्जाल पर भी )पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग पर यथा – हिंदी चेतना,गर्भनाल, अनुभूति, अविराम साहित्यिकी, रचनाकार, समृद्ध सुखी परिवार,सादर इंडिया, उदंती, लेखनी, शोध दिशा, राजभाषा आश्रम सौरभ , यादें, अभिनव इमरोज़, सहज साहित्य, त्रिवेणी, हिंदी हाइकु, लघुकथा . कॉम, साहित्य कुञ्ज, विधान केसरी, प्रभात केसरी, नूतन भाषा-सेतु,नेवा: हाइकु, सरस्वतीसुमन आदि में हाइकु,सेदोका,ताँका,चोका,गीत,माहिया,दोहा, कुंडलियाँ, घनाक्षरी, ग़ज़ल, बाल कविताएँ, समीक्षा, लेख, क्षणिका आदि विविध विधाओं में अनवरत प्रकाशन । ब्लॉग : jyotirmaykalash.blogspot.in सम्प्रति : स्वतन्त्रलेखन सम्पर्क :एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला- वलसाड, गुजरात (भारत ) पिन- 396191 e-mail [email protected] [email protected]

2 thoughts on “होली पर दोहे

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन दोहे !

    • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

      हृदय से आभार !

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