“जब तुम जा रही थी •••”
जब तुम जा रही थीं,
मुझसे दूर।
अपलक देख रही थी,
मुझे दूर से।
मेरी आँखें देख रही थी,
तुझे दूर से।
मन में इच्छा जागती थी,
तुझे रोकने की।
पर मुझमे सामर्थ्य नहीं थी,
तुझसे कहने की।
दोनों की आँखें भर गयी थी,
जुदाई के आशु से।
तुम जाकर वाहन में बैठ गई थी,
अपने सिट पर।
मेरा दिल यही कहता था,
रह जाओ यही पर।
तुम्हें जाने की आवश्यकता थी,
ऐसा लगा वही पर।
जब तुम जा रही थी,
मुझसे दूर ।
bahut sundar
धन्यवाद निवेदिता जी।
वाह !
सादर धन्यवाद श्रीमान जी।