गीतिका/ग़ज़ल

न जाने कितने जन्मों….

 

न जाने कितने जन्मों जन्म से फुरकत में जी रहा हूँ मैं
न जाने कबसे तेरी जुदाई के वुसअत में जी रहा हूँ मैं

तुम ही खड़े हुऐ से नजर आते हो हर जगह हर मोड़ पर
निगाहों में बसी तेरी तस्वीर की सोहबत में जी रहा हूँ मैं

मरकर भी न खत्म होगा अहसास का यह सिलसिला
तेरे बगैर इबादत ए उल्फ़त के अजमत में जी रहा हूँ मैं

मानता था यह जहां रंगमंच है और हम सभी किरदार हैं
लेकिन अब तो तेरे वजूद की सदाक़त में जी रहा हूँ मैं

जान लो मेरी जुबाँ पर तो तेरा नाम आयेगा ही नहीं कभी
सिवा तेरे कोई नहीं जानता की तेरी क़ुरबत में जी रहा हूँ मैं

आजकल लोगों की क्या अपनी नज़रों से छुपकर रहता हूँ
वस्ल ए ख्वाबो ख्याल को ऐसी फितरत में जी रहा हूँ मैं

किशोर कुमार खोरेन्द्र

(फ़ुरकत – जुदाई ,वुसअत -विस्तार ,सोहबत -संसर्ग
इबादत ए उल्फत -प्रेम उपासना ,
अज़मत -ऊंचाई ,प्रतिष्ठा बड़प्पन
वजूद -अस्तित्व ,सदाक़त -सच्चाई ,क़ुरबत -समीपता
वस्ल ए ख्वाबो ख्याल -ख्वाब और ख्याल के मिलन
फितरत -आदत)

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “न जाने कितने जन्मों….

  • सुधीर मलिक

    बहुत खूब

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