“दिखाई दिया करती थी ••••”
दिवस के अवसान में हमेशा,
दृश्यमान हुआ करती थी।
कोमलता की भाव लिये ,
दिखाई दिया करती थी।
आँखों के साँचों में आकर,
रमणीय रूप बन जाती थी।
तन-मन सारा प्लवित करकें,
फिर बिलुप्त हो जाती थी।
—–रमेश कुमार सिंह ♌
दिवस के अवसान में हमेशा,
दृश्यमान हुआ करती थी।
कोमलता की भाव लिये ,
दिखाई दिया करती थी।
आँखों के साँचों में आकर,
रमणीय रूप बन जाती थी।
तन-मन सारा प्लवित करकें,
फिर बिलुप्त हो जाती थी।
—–रमेश कुमार सिंह ♌
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वाह रमेश जी , चन्द लफ़्ज़ों में बहुत बिआं कर दिया.
सादर आभार श्रीमान जी।