तेरे मेरे पाक ….
तेरे मेरे पाक सम्बन्ध में कभी दरार न आये
गुल ही गुल बिछे हैं ,राह में कभी खार न आये
मन से मन का अटूट नाता होता है उल्फ़त में
दरम्याँ हमारे कभी जिस्म की दीवार न आये
मैं तो एक रोज पहुँच ही जाऊँगा रूबरू तुम तक
तब तक मेरे जुनूने इश्क में कभी करार न आये
अक्सर दिल से चाहने का कोई कारण नहीं होता
तेरी पूजा करता हूँ मन में कभी विकार न आये
एक ही खुदा के द्वारा बनाये हम सभी इंसान हैं
रंग जाति धर्म के भेदभाव के कभी विचार न आये
मेरे स्वभाव में शामिल नहीं है खरीदना और बेचना
जीवन के किसी भी मोड़ पर कभी बाज़ार न आये
तैरते हुए पहुँच गये हैं हम दोनों तो मंझधार तक
साथ देने जग के कभी नाव और पतवार न आये
किशोर कुमार खोरेन्द्र
बहुत खूब , वाह वाह.
shukriya