वो पत्र
हे खुदा
हमने यह प्यार कभी न किया होता
गर उन्होंने
दो पन्नों का वो पत्र न दिया होता
यूँ घुट घुट के कभी न जिया होता
गर उन्होंने
दो पन्नों का वो पत्र न दिया होता
यह जीवन क्या है
यह तो सभी जी लेते हैं
सूखी घास पे ओस की बूंदों को
प्यासे भी पानी समझ पी लेते है
पर हमने यह ज़हर
यूँ अकेले अकेले न पिया होता
गर उन्होंने
दो पन्नों का वो पत्र न दिया होता
जीते तो थे
पर जिंदगी में कोई ख्वाहिश न थी
किसी को पाने की
भूल से भी की फरमाइश न थी
वो क्या आये
मेरी जिंदगी
मौसम की तरह करवट बदल गयी
कतरा कतरा हमने भी कभी
उनके लिए
आंसू न बहाया होता
गर उन्होंने
दो पन्नों का वो पत्र न दिया होताे
दो पन्नों का वो पत्र न दिया होता
ं