‘जय विजय’ बधाई, शुभकामनाएं गुरमैल भाई
हम इनको गुरमैल भाई कहते हैं. इसका कारण यह है, कि इनसे हमारा सबसे प्रथम सम्पर्क नभाटा में अपना ब्लॉग, ‘रसलीला’ पर, हमारे 12 मार्च, 2014 के एक ब्लॉग ”आज का श्रवणकुमार” से कामेंट के ज़रिए हुआ. इसमें इंग्लिश में इन्होंने अपने नाम की जो वर्तनी लिखी थी, उसके आधार पर हमने इनको जो प्रतिउत्तर दिया, उसमें इनको ‘गुरमैल भाई’ कहकर संबोधित किया. देखते-ही-देखते एक ही दिन में ये हमारे सभी पाठकों और विजय सिघल भाई सहित तमाम ब्लॉगर्स के चहेते बन गए. उसी ब्लॉग में कामेंट्स के ज़रिए इन्होंने हम पर अपने महान व्यक्तित्व की जो छाप छोड़ी, वह अद्भुत है. हमें वहीं पर इनके एक अच्छा व सच्चा इंसान होने के साथ-साथ इनके एक महान साहित्यकार होने की झलक भी मिल गई थी.
नतीजतन 17 मार्च को ही उन पर हमारा ब्लॉग ‘गुरमैल-गौरव-गाथा’ आ गया. उसके बाद तो इन पर ब्लॉग्स की पूरी श्रंखला ही आ गई, जो बहुत लोकप्रिय हो गई. वह श्रंखला इस प्रकार है-
1.गुरमैल-गौरव-गाथा-17 मार्च 2014.
2.सपना साकार हुआ-31 मार्च 2014.
3.जन्मदिन का उपहार-08 अप्रैल 2014.
4.कहानी कुलवंत कौर की-14अप्रैल 2014.
5.यादों का दरीचा-28अप्रैल 2014.
6.हम तुम्हारे लिए, तुम हमारे लिए-20 अगस्त 2014.
7.मेरी पहली कविता-01 सितंबर 2014.
8.स्वच्छता अभियान से देश के विकास तक-03 नवंबर 2014.
9.गुरमैल-गरिमा-गाथा-24 नवंबर 2014.
10.जन्मदिन तुम्हारा : प्रेम-पत्र हमारा-29 दिसंबर 2014.
11.गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड से ऊंची, आपकी ऊंचाई:गुरमैल भाई-जनवरी 19 2015.
गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड से ऊंची, आपकी ऊंचाई:गुरमैल भाई ब्लॉग प्रकाशित होते ही, हमने यों ही गूगल पर ‘गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ लिखकर सर्च किया, तो सबसे ऊपर यही रचना आ रही थी. हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. हमने तुरंत गुरमैल भाई को मेल लिखी. गूगल पर यह नज़ारा देखकर उनके हर्ष का अंदाज़ा लगाना आपके लिए भी मुश्किल नहीं होगा.
हर वर्ष वैसाखी के पावन पर्व 13 अप्रैल के दिन वे अपना जन्मदिन मनाते हैं. उसी दिन इनकी कुलवंत कौर जी के साथ विवाह-समारोह की सालगिरह भी है. हमारी यह कोशिश रहेगी, कि इस परम पावन अवसर पर उन पर ई.पुस्तिका ”गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड से ऊंची, आपकी ऊंचाई:गुरमैल भाई” प्रकाशित हो सके.
‘जय विजय’ को इस सद्प्रयत्न के लिए बधाई व भमरा परिवार को जन्मदिन व विवाह की सालगिरह की कोटि-कोटि शुभकामनाएं.
लीला तिवानी
आदरणीय गुरमेल भमरा जी रचनाओं में माटी की महक की भीनी -भीनी खुशबू उनकी आत्मकथा सादगी पूर्ण सुलझा हुआ व्यक्तित्व उनकी कृतित्व का कोई सानी नहीं, बहन जी लेखनी के हम मुरीद है – कितना पढ़ लूँ कितना सीखू मिले रोज आशीष – कल्प तरु की शाखा मे , दिखें सदा वागीश —– आदरणीय सिंघल साहब का भी तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ जिनसे सदैव प्रत्यक्ष एवम् परोक्ष रूप से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है – आप सभी का सादर अभिनन्दन———–
प्रिय राजकिशोर भाई जी, हम सब एक-दूसरे से सीखते हैं.
बहुत अच्छा लिखा है आपने बहिन जी. गुरमेल जी जैसे व्यक्तित्व सबके लिए प्रेरणास्रोत होते हैं. यह ‘जय विजय’ पत्रिका का सौभाग्य है कि उसको गुरमेल भाई साहब का आशीर्वाद मिला हुआ है. आपने ही भाई साहब से हमारा परिचय कराया था, इसके लिए आपका भी बहुत बहुत आभार ! आपने इसकी कहानी सभी तक पहुँचाने के लिए जो प्रयास किया है, वैसा करने वाले बहुत दुर्लभ होते हैं.
प्रिय विजय भाई जी, हम गूगल पर ‘गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ लिखकर अपने ब्लॉग ‘सृजन गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का’ के लिए गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड्स सर्च कर रहे थे, कि सहसा आपके द्वारा प्रकाशित यह लेख देखकर हमें सुखद आश्चर्य हुआ. फिर मुद्दत बाद आपकी प्रतिक्रिया तो, सोने पर सुहागे के समान लगी. भाई, गुरमैल भाई से हमारी और आपकी मुलाकात का श्रेय भी महान व्यक्तित्व व कृत्तिकार गुरमैल भाई को ही जाता है, जिनकी पहल के बिना यह असंभव ही होता. बहरहाल, ऐसे सुखद संयोग होते ही रहने चाहिएं. रचना को वेबसाइट पर स्थान देने व इतनी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक कामेंट के लिए ह्रदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
लीला बहन, आप महान हैं और मुझ नाचीज़ को इतना बड़ा दर्जा दिया कि मैं कुछ लिखने के काबल हूँ . मैं अँधेरे में गुम हुआ मंझदार में फंसा हुआ एक राही था जिन को आप ने निकाल कर रास्ता दिखा दिया , बस उस रास्ते पर जिंदगी चल पडी है जो बहुत अच्छी लगती है , इस से ज़िआदा शाएद मेरे पास शब्द नहीं हैं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने अपने को नाचीज़ लिखा, जब कि आप मणि-माणिक की मानिंद अनमोल हैं, आपने अपने को अंधेरे में गुम हुआ लिखा, जब कि आप देदीप्यमान सूर्य के समान प्रज्ज्वलित हैं, आपने अपने को मझधार में फंसा हुआ एक राही लिखा, जब कि आप मझदार को चीरकर किनारे पर पहुंचे हुए कुशल राही हैं. आपने अपना रास्ता खुद बनाया है और हमें भी सही राह पर चलना सिखाया है. आपकी काबिलियत का परिचय तो हम इस लेख में दे ही चुके हैं. हमारी मन से कामना है, कि आप के जन्मदिन के पूर्व आपकी ई.पुस्तिका प्रकाश में आ जाए. अगर हमसे यह काम संभव नहीं हो पाया, तो हम विजय भाई से, जिन्हें ई. पुस्तकों का ख़ासा अनुभव है, सहायता ले सकते हैं. एक बार पुनः इतनी भावभीनी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
बहिन जी, अगर ईबुक से आपका तात्पर्य पीडीऍफ़ फॉर्मेट वाली पुस्तक से है, तो मैं ऐसी पुस्तक तैयार करने के लिए सदा प्रस्तुत हूँ. सामग्री भेज दीजिये. कोशिश करके आपको दिखाऊंगा.
प्रिय विजय भाई जी, हमें आपसे यही उम्मीद थी. आप ठीक समझे हैं, ईबुक से हमारा तात्पर्य पीडीऍफ़ फॉर्मेट वाली पुस्तक से ही है. अगर हमसे यह काम संभव न हुआ, तो हम अवश्य आपकी सहायता लेंगे. सहायता के लिए कदम बढ़ाने के लिए धन्यवाद.