अश्रुधार
किस्मत का खेल बहुत निराला होता है. शताक्षी की शादी तय ही हुई थी कि तभी बाएं पैर में बुरी
Read Moreमोबाइल में मन नहीं लग रहा था स्नेहा का, रवीश के आने का कोई संदेश जो नहीं आ रहा था.
Read Moreरतनलाल सचमुच अनमोल रतन था. उसकी चमत्कृत करने वाली बातों से प्रभावित होकर मैंने रतनलाल पर पेन से 14 फुलस्केप
Read More“क्या हो गया है मेरे वतन को!” सात्विक शायद खुद से ही बात कर रहा था, और कोई तो वहां
Read Moreस्नेहा का जन्मदिन था, उसने बड़े स्नेह से आमंत्रित भी किया था. तैयार होकर अनु निकलने को हुई तो बारिश
Read Moreएक मंदिर में सब लोग पगार पर काम करते थे, घंटा बजाने वाला भी पगार पर था.घंटा बजाने वाला आदमी
Read Moreबात लगभग 65 साल पहले की है. मैं छोटी-सी बच्ची थी. मेरी एक सहेली ने हारमोनियम सीखने का मन बनाया.
Read More“यह तो वही जगह है न, जहां हम नाव में सवार होकर डोलते थे! कैसी सूख-साख कर बंजर-सी लग रही
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