कविता

धूम्रपान की लत

धूम्रपान की लत जिसे, हुआ स्वास्थ्य का नाश, भेज बुलावा कैंसर को, किया खुद का विनाश. हार्ट अटैक ने दस्तक दी, नपुंसकता भी आई, धूम्रपान को छोड़ ही दो अब, जागो-जागो रे भाई. यमराज का भी है कहना, धूम्रपान खतरे की घंटी, अभी लगाया सुट्टा तो फिर, खैर नहीं है बबली-बंटी! तुम तो मुंह को […]

कविता

रिश्तों का गणित

रिश्तों का गणित नहीं है किताब का गणित, स्कूल के गणित से अलग है रिश्तों का गणित. किताब के गणित में होते हैं निश्चित सूत्र, बिना निश्चित सूत्रों के होता है रिश्तों का गणित. रिश्तों के गणित में दो और दो चार होना नहीं है जरूरी, कभी पांच-सात कभी तीन करता है रिश्तों का गणित. […]

कविता

जागो सोने वालो

नींद क्यों रात भर नहीं आती! गाते हैं गाने वाले कैसे वे नादान भोले-भाले! जगे हुओं के लिए गाएं तो समझ में आए! यहां तो सब हैं सोए हुए जाने कहां हैं खोए हुए! अत्याचार पल रहा है, दुराचार खल रहा है, भ्रष्टाचार छल रहा है, स्वार्थ का जहर घुल रहा है, परमार्थ सिर धुन […]

लघुकथा

दस किलो बादाम

“सेठ जी, एक किलो बादाम दीजिए.” सेठ छगनलाल ने दुकान वाले सेठ मगनलाल को कहा. सेठ जी के सहायक उनके बादाम देने ही लगे थे कि एक साधारण-सा दिखने वाला आदमी भी बादाम लेने आया और दस किलो बादाम देने के लिए कहा. “दस किलो बादाम!” सेठ जी को हैरानी हुई. बादाम लेने के बाद […]

लघुकथा

जुगाड़

“कुछ लोग कहते हैं कि औरत का कोई घर नहीं होता है,लेकिन सच तो ये है कि औरत के बिना कोई घर घर नहीं होता है.” “अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस” के अवसर पर छुटभैये नेता मनोहरलाल का भाषण चल रहा था. एक-एक कथन पर तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज रहा था. “नारी पूजनीय होती है, […]

कविता

सच्ची मदद

नदी किनारे पेड़ थेदो जो, झूम रहे थे मस्ती में, चिड़िया एक बच्चों संग आई, रहती थी अब तक बस्ती में. एक पेड़ से कहा चिड़ी ने, “विनती एक हमारी है, कहो तो तुम पर नीड़ बना लूं, बारिश आने वाली है.” “नहीं-नहीं” कहा पेड़ ने, चिड़िया को गुस्सा तो आया, बड़ा घमंडी पेड़ ये […]

कविता

यादों के पंख

यादें तो यादें होती हैं, आती हैं कुछ बातें याद, इसलिए वे यादें होती हैं, कुछ मुद्दतों तक रहती हैं याद. यादें लाजवाब होती हैं, मधु-सी मीठी होती हैं यादें, कड़वी-खट्टी-कसैली भी यादें, सलोनी-सुनहरी भी होती हैं यादें. किताबों में बंद होती हैं कुछ यादें, दिल की डायरी में कैद कुछ यादें, कहीं-न-कहीं कैद होती […]

कविता

चिंता

“करेंगे” यह निश्चित नहीं है पर, “मरेंगे” यह निश्चित है, फिर क्यों मरने के डर से लगता, हर एक चिंतित है! चिंता करनी है तो आज की करो, कल कभी होता नहीं, “जीवन है आज, रहे न रहे” कहता मन, कोई भरोसा नहीं. मनसा-वाचा-कर्मणा दृढ़ रहकर, सुख-दुःख में सम रहो, अनमोल पूंजी हैं समय और […]

कविता

सप्तरंगी

इंद्रचाप के सप्त रंग निज, मर्यादा में रहते हैं, तभी सुशोभित होते-मोहते, नील गगन में रहते हैं. सप्ताह के सप्त दिवस-रंग, मर्यादा में रहते हैं, तभी सुशोभित होते-मोहते, अमर जगत में रहते हैं. संगीतम के सप्त सुर-रंग भी, मर्यादा में रहते हैं, उचित जगह स्वर उचित लगाकर, मन-मंदिर में बसते हैं. आत्मा के सप्त गुण-रंग, […]

कविता

मंजिल

मंजिल को पाना ‘गर चाहे, चलता चल तू बढ़ता चल, मंजिल को तू पा जाएगा, होगा अगर इरादा अटल. थकना नहीं है रुकना नहीं है, मंजिल तकती राह तेरी, जिद-जुनून का सागर बन जा, उठ तू बजा दे रणभेरी. उमंग और उत्साह से राही, नव ऊर्जा को पाना है, आशा-साहस-दीपक लेकर, जग रोशन कर जाना […]