सुबह सुबह
अरूणोदय के समय में,
सुनहरे तीर बरसाते।
किरण में अन्तर्निहित हुए,
विखरने लगा धरातल पें।
जाग गई सभी वनस्पतिया ,
जाग गई सब मानवता।
चहचहाने लगी सब चिड़ियाँ।
लिए भाव कोमल विखेरता।
———रमेश कुमार सिंह ♌
अरूणोदय के समय में,
सुनहरे तीर बरसाते।
किरण में अन्तर्निहित हुए,
विखरने लगा धरातल पें।
जाग गई सभी वनस्पतिया ,
जाग गई सब मानवता।
चहचहाने लगी सब चिड़ियाँ।
लिए भाव कोमल विखेरता।
———रमेश कुमार सिंह ♌
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sundar
शुक्रिया निवेदिता जी।
वाह
धन्यवाद श्रीमान जी।
अच्छी कविता .
धन्यवाद श्रीमान जी