हाइकु
1
वीर हँसते
जिन्दगी ज्यूँ छेड़ती
भीरु रो लेते ।
2
वसंत शोर
रवि-स्वर्णाभा-होड़
पीले गुच्छों से।
3
असार स्वप्न
भस्म हुई उम्मीदें
धुँआ जिन्दगी ।
4
दुःख व हंसी
जिंदगी की सौगातें
रूप सिक्के के ।
5
पद के मद
आंगन में दीवारें
घर कलह।
6
घर कलह
बरसे रिश्तों पर
बेमौसम सा।
=
विभा बहन , हाइकु अछे लगे , अक्षर कम , अर्थ ज़िआदा.
आभारी हूँ भैया …. बहुत बहुत धन्यवाद आपका
बढ़िया !
शुभ संध्या … बहुत बहुत धन्यवाद आपका